pongal south indian festival

Thai Pongal is a Tamil Thanksgiving festival. Thai Pongal is a four-day festival which according to the Gregorian calendar is normally celebrated from January 14 to January 17


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जिस प्रकार ओणम् केरलवासियों का महत्त्वपूर्ण त्योहार है । उसी प्रकार पोंगल तमिलनाडु के लोगों का महत्त्वपूर्ण पर्व है । उत्तरभारत में जिन दिनों मकर सक्रान्ति का पर्व मनाया जाता है, उन्हीं दिनों दक्षिण भारत में पोंगल का त्यौहार मनाया जाता है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है । यहाँ की अधिकांश जनता कृषि के द्वारा आजीविका अर्जित करती है । आजकल तो उद्योगिकरण के साथ-साथ कृषि कार्य भी मशीनों से किया जाने लगा है । परन्तु पहले कृषि मुख्यत: बैलों पर आधारित थी । बैल और गाय इसी कारण हमारी संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं ।

भगवान शिव का वाहन यदि बैल है तो भगवान श्रीकृष्ण गोपालक के नाम से जाने जाते हैं । गायों की हमारे देश में माता के समान पूज्य मानकर सेवा की जाती रही है । गाय केवल दूध ही नहीं देती बल्कि वो हमें बछड़े प्रदान करती है जो खेती करने के काम आते हैं । तमिलनाडुवासी तो पोंगल के अवसर पर विशेष रूप से गाय, बैलों की पूजा करते हैं ।



यह त्योहार प्रतिवर्ष मकर संक्रान्ति के आस-पास मनाया जाता है । यह उत्सव लगभग तीन दिन तक चलता है । लेकिन मुख्य पर्व पौषमास की प्रतिपदा को मनाया जाता है । अगहन मास में जब हरे-भरे खेत लहलहाते हैं तो कृषक स्त्रियाँ अपने खेतों में जाती हैं ।

भगवान से अच्छी फसल होने की प्रार्थना करती है । इन्हीं दिनों घरों की लिपाई-पुताई प्रारम्भ हो जाती है । अमावस्या के दिन सब लोग एक स्थान पर एकत्र होते हैं । इस अवसर पर लोग अपनी समस्याओं का समाधान खोजते हैं । अपनी रीति-नीतियों पर विचार करते हैं और जो अनुपयोगी रीति-नीतियाँ हैं उनका परित्याग करने की प्रतिज्ञा की जाती है ।

जिस प्रकार 31 दिसम्बर की रात को गत वर्ष को संघर्ष और बुराइयों का साल मानकर विदा किया जाता है, उसी प्रकार पोंगल को भी प्रतिपदा के दिन तमिलनाडुवासी बुरी रीतियों को छोड़ने की प्रतिज्ञा करते हैं ।

यह कार्य ‘पोही’ कहलाता है । जिसका अर्थ है- ‘जाने वाली’ । इसके द्वारा वे लोग बुरी चीजों का त्याग करते हैं और अच्छी चीजों को ग्रहण करने की प्रतिज्ञा करते हैं ।


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पोही के अगले दिन अर्थात् प्रतिपदा को पोंगल की धूम मच जाती है । इस अवसर पर सभी छोटे-बड़े लोग काम में आने वाली नई चीजे खरीदते हैं और पुरानी चीजों को बदल डालते हैं । नए वस्त्र और नए बर्तन खरीदे जाते हैं ।

नए बर्तनों में दूध उबाला जाता है । खीर बनाई जाती है । लोग पकवानों को लेकर इकट्‌ठे होते हैं, और सूर्य भगवान की पूजा करते हैं । मकर सक्रान्ति से सूर्य उत्तरायण में चला जाता है दिन बड़े होने लगते हैं । सूर्य भगवान की कृपा होने पर ही फसलें पकती हैं । किसानों को उनकी वर्ष भर की मेहनत फल मिलता है ।

ये त्योहार तामिलनाडु का त्योहार अवश्य है पर इसके पीछे जो आध्यात्मिक संदेश छिपा है वह सम्पूर्ण भारतवासियों के लिए पवित्रता और नवोत्साह का संदेश देता है । इस त्योहार पर गाय के दूध के उफान को बहुत महत्व दिया जाता है ।


उनका विचार है कि जिस प्रकार दूध का उफान शुद्ध और शुभ है उसी प्रकार प्रत्येक प्राणी का मन भी शुद्ध संस्कारों से उज्ज्वल होना चाहिए । इसलिए वे अन्त:करण की शुद्धता के लिए सूर्यदेव से प्रार्थना करते हैं .



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