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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare HareHare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare
नित खुद ही शृंगार करो तुम सुनो राधिका रानी आज़ सजाऊ खुद हाथो सॆ कान्हा करत मन मानी !माथे मुकुट कान मैं झूमर हाथों कंगना खनककाये मुक्ता मणि के हार गले मैं चुन चुन कर पहनाये !पग पायलिया छम छम नूपुर खूब पहनाये कान्हा लाज के मारे सिमटे राधे नैना गड़ी गड़ी जाये !कमल पुष्प बालों के खतिर कान्हा खुद ही लाये चूनर तनिक खींच कर नीचे पुष्प गुच्छ बालों मैं लगाये !मधुबन भीतर कुंज बाग मैं फूल फूल मुस्काये !भाग जगे हैं फूलन के जो राधे नै अंग लगाये
I have been lost O’ Kanha, for many a millennium Roaming the farthest universes, eon after eonFrom galaxy to galaxy, from planet to planetSearching in vain, countless lives I have spentAt long last, I've come to your door todayAnd stand askance in the entrywayMy frantic heart tired of being apartMy yearning soul begging for union at lastNo longer, O’ Krishna, now make me waitUndo that latch and open that gateHold out your hand, pull me in embraceOh! Shower me this moment with your graceGather me to yourself, into your foldLeave not a thing, Oh! Take me all! Not one wee finger, not a wisp of hairOmit nothing today from your gentle careLet not escape, one heartbeat or one thoughtYou must gather them all, and leave naughtAway from you to wither and disperseFalling back into the endless universeSo take me completely, Kanha, or take noneDon't send me back in pieces, broken, undone
सुख-सौभाग्य दिलाते हैं कृष्ण के प्रभावी मंत्र |कृष्ण-मंत्र और उनके प्रयोग* मनोवांछित फल की प्राप्ति कराते हैं कृष्ण मंत्रश्रीकृष्ण के विभिन्न मंत्र प्रस्तुत है। इन मंत्रों के जाप से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शुभ प्रभाव बढ़ाने व सुख प्रदान करने में यह मंत्र अत्यन्त प्रभावी माने जाते हैं। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण तब ही अपने मंत्रों का पूर्ण प्रभाव देते हैं जब कि जातक स्वयं परिश्रमी हो-भगवान श्रीकृष्ण का मूलमंत्र :‘कृं कृष्णाय नमः’– यह श्रीकृष्ण का मूलमंत्र है। इस मूलमंत्र का जाप अपना सुख चाहने वाले प्रत्येक मनुष्य को प्रातःकाल नित्यक्रिया व स्नानादि के पश्चात 108 बार करना चाहिए। ऐसा करने वाले मनुष्य सभी बाधाओं एवं कष्टों से सदैव मुक्त रहते हैं।सप्तदशाक्षर श्रीकृष्णमहामंत्र :ॐ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा’यह श्रीकृष्ण का सप्तदशाक्षर महामंत्र है। इस मंत्र का 5 लाख जाप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। जप के समय हवन का दशांश अभिषेक का दशांश तर्पण तथा तर्पण का दशांश मार्जन करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है। जिस व्यक्ति को यह मंत्र सिद्ध हो जाता है उसे सबकुछ प्राप्त हो जाता है।सात अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र :‘गोवल्लभाय स्वाहा’इस सात (7) अक्षरों वाले श्रीकृष्ण मंत्र का जाप जो भी साधक करता है उसे संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती है।आठ अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र :‘गोकुल नाथाय नमः’इस आठ (8) अक्षरों वाले श्रीकृष्ण मंत्र का जो भी साधक जाप करता है उसकी सभी इच्छाएं व अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं।दशाक्षर श्रीकृष्ण मंत्र :‘क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः’यह दशाक्षर (10) मंत्र श्रीकृष्ण का है। इसका जो भी साधक जाप करता है उसे संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती है।द्वादशाक्षर श्रीकृष्ण मंत्र :‘ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय’इस कृष्ण द्वादशाक्षर (12) मंत्र का जो भी साधक जाप करता है, उसे हर प्रकार की समृद्धि प्राप्त हो जाती है।22 अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र :‘ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्सों।’यह बाईस (22) अक्षरों वाला श्रीकृष्ण का मंत्र है। जो भी साधक इस मंत्र का जाप करता है उसे वागीशत्व की प्राप्ति होती है। इस मंत्र से वाणी में निखार आता है।23 अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र :‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री’यह तेईस (23) अक्षरों वाला श्रीकृष्ण का मंत्र है। जो भी साधक इस मंत्र का जाप करता है उसकी सभी बाधाएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं।28 अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र :‘ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा’यह अट्ठाईस (28) अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र है। जो भी साधक इस मंत्र का जाप करता है उसको समस्त अभिष्ट वस्तुएं प्राप्त होती हैं।29 अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र :‘लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा।’यह उन्तीस (29) अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र है। इस श्रीकृष्ण मंत्र का जो भी साधक एक लाख जप और घी, शकर तथा शहद में तिल व अक्षत को मिलाकर होम करते हैं, उन्हें स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।32 अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र :‘नन्दपुत्राय श्यामलांगाय बालवपुषे कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।’यह बत्तीस (32) अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र है। इस श्रीकृष्ण मंत्र का जो भी साधक एक लाख बार जाप करता है तथा पायस, दुग्ध व शक्कर से निर्मित खीर द्वारा दशांश हवन करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।33 अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र :‘ॐ कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद मे। रमारमण विद्येश विद्यामाशु प्रयच्छ मे॥’यह तैंतीस (33) अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र है। इस श्रीकृष्ण मंत्र का जो भी साधक जाप करता है उसे समस्त प्रकार की विद्याएं निःसंदेह प्राप्त होती हैं।
yaḥ sarvatrānabhisnehas
tat tat prāpya śubhāśubham
nābhinandati na dveṣṭi
tasya prajñā pratiṣṭhitā